""कुछ लम्हे कुछ बातें कुछ हसीं कुछ नहीं पिरोकर लाएं हैं आपकी महफ़िल में। इन मोतियों में से कुछ पसंद आये तो सजा लेना न आये तो छुपा देना पहली कोशिश की है हो सकता है हम इस क़ाबिल नहीं। लब्ज़ों की भीड़ में जज़्बातों के ढेर से चंद और अपना लेना मुश्किल भी नही।""