पुस्तक का प्रयोजन पाठकों को प्रकृति के अभिन्न अंग जैसे रवि, चंद्र, वनस्पति, समय आदि के गुणों और आपस में सामंजस्य को काव्य पन्क्तिओ के रूप में व्यक्त करती है। प्रकृति प्रेम केवल सौंदर्य की सराहना तक सीमित नहीं है, किन्तु यह एक गहरी संवेदनशीलता और जिम्मेदारी का भाव भी है। प्रकृति के शाश्वत आविर्भाव का प्राण चित्त विवरण पन्क्तिओ के माध्यम से विवारित किया गया है।